فَمَا بَكَتْ عَلَيْهِمُ السَّمَاءُ وَالْأَرْضُ وَمَا كَانُوا مُنْظَرِينَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
फिर न तो आकाश और धरती ने उनपर विलाप किया और न उन्हें मुहलत ही मिली
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
तो उन लोगों पर आसमान व ज़मीन को भी रोना न आया और न उन्हें मोहलत ही दी गयी
Quran
44
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29
हिन्दी
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