إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَاتٍ وَإِنْ كُنَّا لَمُبْتَلِينَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
निस्संदेह इसमें कितनी ही निशानियाँ हैं और परीक्षा तो हम करते ही है
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
इसमें शक नहीं कि हसमें (हमारी क़ुदरत की) बहुत सी निशानियाँ हैं और हमको तो बस उनका इम्तिहान लेना मंज़ूर था
: