حَتَّىٰ إِذَا فُتِحَتْ يَأْجُوجُ وَمَأْجُوجُ وَهُمْ مِنْ كُلِّ حَدَبٍ يَنْسِلُونَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
यहाँ तक कि वह समय आ जाए जब याजूज और माजूज खोल दिए जाएँगे। और वे हर ऊँची जगह से निकल पड़ेंगे
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
बस इतना (तवक्कुफ़ तो ज़रूर होगा) कि जब याजूज माजूज (सद्दे सिकन्दरी) की कैद से खोल दिए जाएँगे और ये लोग (ज़मीन की) हर बुलन्दी से दौड़ते हुए निकल पड़े