أَقِمِ الصَّلَاةَ لِدُلُوكِ الشَّمْسِ إِلَىٰ غَسَقِ اللَّيْلِ وَقُرْآنَ الْفَجْرِ ۖ إِنَّ قُرْآنَ الْفَجْرِ كَانَ مَشْهُودًا
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
नमाज़ क़ायम करो सूर्य के ढलने से लेकर रात के छा जाने तक और फ़ज्र (प्रभात) के क़ुरआन (अर्थात फ़ज्र की नमाज़ः के पाबन्द रहो। निश्चय ही फ़ज्र का क़ुरआन पढ़ना हुज़ूरी की चीज़ है
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
(ऐ रसूल) सूरज के ढलने से रात के अंधेरे तक नमाज़े ज़ोहर, अस्र, मग़रिब, इशा पढ़ा करो और नमाज़ सुबह (भी) क्योंकि सुबह की नमाज़ पर (दिन और रात दोनों के फरिश्तों की) गवाही होती है
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