وَلَا تَمْشِ فِي الْأَرْضِ مَرَحًا ۖ إِنَّكَ لَنْ تَخْرِقَ الْأَرْضَ وَلَنْ تَبْلُغَ الْجِبَالَ طُولًا
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
और धरती में अकड़कर न चलो, न तो तुम धरती को फाड़ सकते हो और न लम्बे होकर पहाड़ो को पहुँच सकते हो
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और (देखो) ज़मीन पर अकड़ कर न चला करो क्योंकि तू (अपने इस धमाके की चाल से) न तो ज़मीन को हरगिज़ फाड़ डालेगा और न (तनकर चलने से) हरगिज़ लम्बाई में पहाड़ों के बराबर पहुँच सकेगा
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